दीवाली के दिन की विशेषता लक्ष्मी जी के पूजन से संबन्धित है. इस दिन हर घर, परिवार, कार्यालय में लक्ष्मी जी के पूजन के रुप में उनका स्वागत किया जाता है. दीवाली के दिन जहां गृहस्थ और वाणिज्य वर्ग के लोग धन की देवी लक्ष्मी से समृद्धि और वित्तकोष की कामना करते हैं, वहीं साधु-संत और तांत्रिक कुछ विशेष सिद्धियां अर्जित करने के लिए रात्रिकाल में अपने तांत्रिक कर्म करते हैं.
Diwali Puja Muhurat 2015 = 17:42 to 19:38
Duration = 1 Hour 55 Mins
Pradosh Kaal = 17:25 to 20:05
Vrishabha Kaal = 17:42 to 19:38
Amavasya Tithi Begins = 21:23 on 10/Nov/2015 ; Amavasya Tithi Ends = 23:16 on 11/Nov/2015
Auspicious Choghadiya Muhurat for Diwali Lakshmi Puja
Morning Muhurta (Labh, Amrit) = 06:44 - 09:25
Morning Muhurta (Shubh) = 10:45 - 12:05
Afternoon Muhurta (Char, Labh) = 14:45 - 17:26
Evening Muhurta (Shubh, Amrit, Char) = 19:06 - 23:16
पूजा की सामग्री
- 1. लक्ष्मी व श्री गणेश की मूर्तियां (बैठी हुई मुद्रा में)
- 2. केशर, रोली, चावल, पान, सुपारी, फल, फूल, दूध, खील, बताशे, सिंदूर, शहद, सिक्के, लौंग.
- 3. सूखे, मेवे, मिठाई, दही, गंगाजल, धूप, अगरबत्ती, 11 दीपक
- 4. रूई तथा कलावा नारियल और तांबे का कलश चाहिए.
पूजा की तैयारी
चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियाँ इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहें. लक्ष्मीजी,गणेशजी की दाहिनी ओर रहें. पूजनकर्ता मूर्तियों के सामने की तरफ बैठे. कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें. नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें. यह कलश वरुण का प्रतीक है.
लक्ष्मीजी की ओर श्री का चिह्न बनाएँ. गणेशजी की ओर त्रिशूल, चावल का ढेर लगाएँ. सबसे नीचे चावल की नौ ढेरियाँ बनाएँ. छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें. तीन थालियों में निम्न सामान रखें.
- ग्यारह दीपक(पहली थाली में)
- खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप सिन्दूर कुंकुम, सुपारी, पान (दूसरी थाली में)
- फूल, दुर्वा चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक. (तीसरी थाली में)
इन थालियों के सामने पूजा करने वाला स्व्यं बैठे. परिवार के सदस्य आपकी बाईं ओर बैठें. शेष सभी परिवार के सदस्यों के पीछे बैठे.
लक्ष्मी पूजन विधि
आप हाथ में अक्षत, पुष्प और जल ले लीजिए. कुछ द्रव्य भी ले लीजिए. द्रव्य का अर्थ है कुछ धन. यह सब हाथ में लेकर संकसंकल्प मंत्र को बोलते हुए संकल्प कीजिए कि मैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान व समय पर अमुक देवी-देवता की पूजा करने जा रहा हूं जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हो. सबसे पहले गणेश जी व गौरी का पूजन कीजिए.
हाथ में थोड़ा-सा जल ले लीजिए और आह्वाहन व पूजन मंत्र बोलिए और पूजा सामग्री चढ़ाइए. हाथ में अक्षत और पुष्प ले लीजिए और नवग्रह स्तोत्र बोलिए. अंत में महालक्ष्मी जी की आरती के साथ पूजा का समापन कीजिये.

Maha Lakshmi (Laxmi) Mantra, महालक्ष्मी मंत्र
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ॐ महालक्ष्म्यै नम: |
रोज़ 51 माला ४० दिन तक करे |
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ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नम: |
108 माला करे | नित्य 2 माला करे |
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अष्टलक्ष्मी मंत्र
51 माला रोज़
ॐ आधलक्ष्म्यै नम: |
ॐ विद्यालक्ष्म्यै नम: |
ॐ सौभाग्यलक्ष्म्यै नम: |
ॐ अमृतक्ष्म्यै नम: |
ॐ कामलक्ष्म्यै नम: |
ॐ सत्यलक्ष्म्यै नम: |
ॐ भोगलक्ष्म्यै नम: |
ॐ योगलक्ष्म्यै नम: |
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लक्ष्मी गायत्री मन्त्र
ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्ये(यै) च धीमही तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात |
कृप्या ध्यान दे - इस मंत्र मे विष्णु पत्न्ये मे (ये) न हो कर (यै) है |
नित्य 11 माला 40 दिन तक करे | उद्यापन कर दे |
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धनदा लक्ष्मी मंत्र
ॐ नमो धनदायै स्वाहा |
21 माला रोज़ करे 40 दिन तक | तत्पश्चात हवन एवं उद्यापन कर दे |
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